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कम्प्यूटर की पीढ़ियां क्या हैं ? ( What is Generation of Computer)

कम्प्यूटर की पीढ़ियां क्या हैं ? ( What is Generation of Computer), Computer ke kitne ganeration hai
Generation of Computer

कम्प्यूटर की पीढ़ियां क्या हैं ?  (What is Generation of Computer)


कम्प्यूटर की खोज होने के बाद इसमें लगातार परिवर्तन हुए। पहले जहां कम्प्यूटर का संचालन काफी मुश्किल था, वहीं अब इसे काफी आसानी से प्रयोग में लाया जा सकता है। समय के साथ इसमें परिवर्तन किए गए। कम्प्यूटर की विकास यात्रा को पांच पीढियों में बांटा गया हैं। हम इस लेख में कम्प्यूटर की पांचों पीढ़ियों के बारे में जानेंगे कि किस पीढ़ी में कम्प्यूटर में कौन से परिवर्तन किए गए। 


1- पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर (First Generation of Computer) : (1942-1955) 


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First Generation of Computer


- पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर के निर्माण में निर्वात ट्यूब (Vaccum Tube) का प्रयोग किया गया। 
- साफ्टवेयर मशीनी भाषा तथा निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा में तैयार किया जाता था।
- डाटा तथा साफ्टवेयर के भंडारण के लिए पंचकार्ड तथा पेपर टेप का प्रयोग किया गया। 
- कम्प्यूटर का गणना समय या गति मिली सेकेंड में मापी जाती थी। 
- पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर का उपयोग मुख्यतः वैज्ञानिक अनुसंधान तथा सैन्य कार्यों में ही किया जाता था।
- ये आकार में काफी बड़े और अधिक ऊर्जा खपत करने वाले थे। इनकी भंडारण क्षमता कम तथा गति मंद थी। इन कम्प्यूटर्स को चलाना काफी खर्चीला भी था।
- निर्वात ट्यूब (Vaccum Tube) द्वारा अधिक उष्मा उत्पन्न करने के कारण इन्हें वातानुकूलित वातावरण में रखना पड़ता था। 
- एनिएक, यूनीबैक तथा आईबीएम के मार्क-1 इसके उदाहरण हैं।


2- दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Second Generation of Computer) : (1955-1964)  


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Second Generation Computer


- दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में निर्वात ट्यूब की जगह सेमीकंडक्टर ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया गया, जो अपेक्षाकृत हल्के, छोटे और कम विद्युत खपत करने वाले थे।
- कम्प्यूटर के लिए साफ्टेवयर उच्चस्तरीय भाषा में तैयार किया गया। असेम्बली भाषा में प्रोग्राम लिखने के लिए निमानिक्स कोड का प्रयोग किया जाता है, जो याद रखने में सरल होते हैं। अतः असेम्बली भाषा में साफ्टवेयर तैयार करना आसान होता है। 
- डाटा तथा साफ्टवेयर के भंडारण के लिए मेमोरी के रूप में चुंबकीय भंडारण उपकरणां जैसे- मैग्नेटिक टेप तथा मैग्नेटिक डिस्क आदि का प्रयोग आरंभ हुआ। इसमें भंडारण क्षमता था कम्प्यूटर की गति में वृद्धि हुई।
- कम्प्यूटर के प्रोसेस करने की गति तीव्र हुई, जिसे अब माइक्रो सेकेंड में मापा जाता था। 
- इसी पीढ़ी में व्यवसाय तथा उद्योग में कम्प्यूटर का प्रयोग आरंभ हुआ। 
- बैच ऑपरेटिंग सिस्टम की शुरूआत हुई।
- साफ्टवेयर में कोबोल और फोरट्रान जैसे उच्चस्तरीय भाषा का विकास आईबीएम (IBM- International Business Machine) द्वारा किया गया। इससे प्रोग्रामिंग में काफी आसानी हुई।


नोट- ट्रांजिस्टर का आविष्कार 1947 में बेल लैबोरेटरीज के जॉन वारडीन, विलियम शाकले तथा वाल्टर ब्रेटन ने किया। इसका निर्माण अर्द्धचालक पदार्थ सिलिकन या जर्मेनियम से मिलकर होता है और यह तेज गति का स्विचिंग डिवाइस है।


3- तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Third Generation Of Computer) : (1964-1975)


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Third Generation Computer


- तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट चिप (IC-Integrated Circuit) का प्रयोग आरंभ हुआ तथा बाद में मीडियम स्केल इंटीग्रेशन का विकास हुआ। जिसमें एक इंटीग्रेटेड सर्किट चिप में सैकड़ों इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे- ट्रांजिस्टर, प्रतिरोधक तथा संधारित्र का निर्माण संभव हुआ। 
- इनपुट तथा आउटपुट उपकरण के रूप में क्रमशः कीबोर्ड तथा मॉनीटर का प्रयोग प्रचलित है। कीबोर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में डाटा तथा निर्देश डालना आसान हुआ। 
- मैग्नेटिक टेप तथा डिस्क के भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई। सेमीकंडक्टर भंडारण उपकरणों का विकास हुआ। रैम के कारण कम्प्यूटर के कार्य करने की गति में काफी वृद्धि हुई। 
- कम्प्यूटर का गणना समय नैनो सेकेंड में मापा जाने लगा। इससे कम्प्यूटर के कार्य क्षमता में तेजी आई।
- कम्प्यूटर का व्यावसायिक व व्यक्तिगत उपयोग आरंभ हुआ। 
- उच्चस्तरीय भाषा में पीएल-1, पास्कल तथा बेसिक का विकास हुआ। 
- टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ।
- हार्डवेयर और साफ्टवेयर की अलग-अलग बिक्री प्रारंभ हुई। इससे यूजर आवश्यकतानुसार साफ्टवेयर ले सकता था। 



नोट- इंटीग्रेटेड सर्किट का विकास 1958 में जैक किल्बी तथा राबर्ट नोयी द्वारा किया गया। सिलिकन की सतह पर बने इस प्रौद्योगिकी को माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स का नाम दिया गया। ये चिप अर्धचालक पदार्थ सिलिकन या जर्मेनियम के बने होते हैं। 


4- चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Fourth Generation of Computer) : (1975-1989)


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Fourth Generation Computer


- चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया गया। 
- कम्प्यूटर का गणना समय पीको सेकेंड में मापा जाने लगा।
- माइक्रो प्रोसेसर के इस्तेमाल से अत्यंत छोटा और हाथ में लेकर चलने योग्य कम्प्यूटरों का विकास हुआ। 
- मल्टी टास्किंग के कारण कम्प्यूटर का प्रयोग एक साथ कई कार्यों को संपन्न करने में किया जाने लगा। 
- चुंबकीय डिस्क और टेप का स्थान अर्धचालक मेमोरी ने ले लिया। रैम की क्षमता में वृद्धि से कार्य अत्यंत तीव्र हो गया। 
- उच्च गति वाले कंप्यूटर नेटवर्क जैसे लैन और वैन का विकास हुआ।
- समानांतर कंप्यूटिंग तथा मल्टीमीडिया का प्रचलन प्रारंभ हुआ। 
- 1981 में आईबीएम ने माइक्रो कंप्यूटर का विकास किया, जिसे पीसी कहा गया।
- सॉफ्टवेयर में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस के विकास ने कंप्यूटर के उपयोग को सरल बना दिया। 
- ऑपरेटिंग सिस्टम में एमएस डॉस, माइक्रोसॉफ्ट विंडोज तथा एप्पल ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ। 
- उच्च स्तरीय भाषा में ‘सी‘ लैंग्वेज का विकास हुआ, जिससे प्रोग्रामिंग काफी आसान हो गई। 
- उच्च स्तरीय भाषा का मानकीकरण किया गया ताकि किसी प्रोग्राम को कंप्यूटर में चलाया जा सके।


5- पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर (Fifth Generation Of Computer) : (1989- अब तक)


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Fifth Generation Computer


- अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटीग्रेशन और सुपर लार्ज स्केल इंटीग्रेशन से करोड़ों इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से युक्त माइक्रोप्रोसेसर चिप का विकास हुआ। 
- इससे अत्यंत छोटे तथा हाथ में लेकर चलने योग्य कंप्यूटरों का विकास हुआ, जिनकी गणना क्षमता अत्यधिक तीव्र और अधिक है।
- मल्टीमीडिया तथा एनिमेशन के कारण कंप्यूटर का शिक्षा तथा मनोरंजन आदि के लिए भरपूर उपयोग किया जाने लगा। 
- इंटरनेट तथा सोशल मीडिया के विकास ने सूचनाओं के आदान-प्रदान तथा एक-दूसरे से संपर्क करने के तरीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन को संभव बना दिया। 
- भंडारण के लिए ऑप्टिकल डिस्क जैसे सीडी, डीवीडी या ब्लू रे डिस्क का विकास हुआ, जिनकी भंडारण क्षमता काफी अधिक थी। 
- दो प्रोसेसर को एक साथ जोड़कर तथा पैरेलल प्रोसेसिंग द्वारा कंप्यूटर प्रोसेसर की गति को अत्यधिक तीव्र बनाया गया। 
- नेटवर्किंग के क्षेत्र में इंटरनेट ईमेल तथा WWW (World Wide Web) का विकास हुआ।
- सूचना प्रौद्योगिकी तथा सूचना राजमार्ग की अवधारणा का विकास हुआ।
- नए कंप्यूटर में क्षमता डालने के प्रयास चल रहे हैं ताकि कंप्यूटर परिस्थितियों के अनुकूल वह स्वयं निर्णय ले सकें। आवाज को पहचानने तथा रोबोट निर्माण में इसका प्रयोग किया जा रहा है। 
- मैग्नेटिक बबल मेमोरी के प्रयोग से भंडारण क्षमता में काफी वृद्धि हुई है। 


नोट- आलू के चिप्स के आकार के होने के कारण इंटीग्रेटेड सर्किट को चिप नाम दिया गया।



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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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